राजपाल यादव की इस बात पर हंसते रह गए प्रेमानंद महाराज; बॉलीवुड एक्टर को दी यह सीख, राजपाल ने दोबारा आने की इजाजत मांगी

Rajpal Yadav reached to Premanand Maharaj for Darshan

Rajpal Yadav in Vrindavan: बॉलीवुड के मशहूर एक्टर और दिग्गज कॉमेडियन राजपाल यादव ने वृंदावन में संत प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन किए हैं. एक दिन पहले ही वह प्रेमानंद महाराज के पास उनके आश्रम पहुंचे और उनसे आशीर्वाद लिया। इस दौरान प्रेमानंद महाराज ने राजपाल से पूछा कि ठीक हो तो इस पर राजपाल यादव ने जवाब देते हुए कहा आज ठीक हूं। आज जीवन धन्य हो गया है। राजपाल के इतना कहते ही प्रेमानंद महाराज ने कहा अच्छा है कि अब हमारे भारत वासियों को हंसाते रहते हैं और उनका मनोरंजन करते हैं।

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जब राजपाल ने खुद को बताया द्वापर युग का मनसुखा

वहीं इस बीच राजपाल यादव ने अपने हंसमुख अंदाज से प्रेमानंद महाराज की हंसी भी छुटा दी। राजपाल ने कुछ ऐसा कहा कि प्रेमानंद महाराज जोर-जोर से हंसने लगे। दरअसल राजपाल ने खुद को द्वापर युग का मनसुखा बताया। राजपाल यादव ने कहा कि हम तो अंदर से पागलपन में एक गलतफहमी मानकर बैठ गए कि द्वापर युग है कृष्णा जी हैं, सब ग्वाला हुए हैं। मुझे लगता है कि मनसुखा मैं ही था। इस पर प्रेमानंद महाराज ठहाका लगाके हंसने लगे। राजपाल ने कहा कि मैं अंदर ही अंदर अपने आप को मनसुखा ही बोलता रहता हूं। ये पागलपन मैं रखना चाहता हूं, इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हां ये पागलपल जरूर रखे रहो। क्योंकि पूरे भारत को हँसाने वाले आप हो।

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प्रेमानंद महाराज ने राजपाल को दी ये सीख

इसी के साथ प्रेमानंद महाराज ने राजपाल यादव को सीख दी कि हमारे जीवन का लाभ यही है कि हमारा चित हमेशा भगवान में लगा रहे। क्योंकि जीवन में कभी-कभी विपत्तियां आती हैं, दुख आते हैं। कभी-कभी अपनों से बिछोड़ होता है, कभी-कभी ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि जीना मुश्किल होता है। इन सभी समस्याओं में हमको कोई संभाल सके वो केवल भगवान हैं। क्योंकि इंसान तो तब तक ही आपके साथ खड़ा होगा जब तक आप उसके काम हो। जब काम के नहीं रहोगे तो देखकर मुंह घूमा लेगा। इसलिए केवल भगवान ही साथ देते हैं।

प्रेमानंद महाराज ने राजपाल यादव से कहा कि भगवान का स्मरण करते रहो। वो आनंद समुद्र हैं। नाम जप करके जीवन को आनंदमय बनाओ और हर मुश्किल से लड़ना सीखो, हारना नहीं। वहीं राजपाल यादव ने कहा कि शास्त्र ठीक कहता है कि ईश्वर है और आपको देखकर यह प्रमाणित होता है कि ईश्वर है। राजपाल ने कहा कि मैं यहां आकर बहुत कुछ बोलना चाहता था लेकिन आपको देखकर कुछ आ ही नहीं रहा है। इस पर प्रेमानंद महाराज हंसने लगे। वहीं राजपाल ने फिर से दर्शन के लिए आने की प्रेमानंद महाराज से आज्ञा मांगी और कहा कि इस बार पत्नी को साथ लेकर आऊंगा।

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प्रेमानंद जी महाराज की दोनो किडनी खराब

राधारानी के परम भक्त प्रेमानंद जी महाराज के बारे में लोग ताज्जुब खाते हैं। बीते 17-18 सालों से महाराज जी की दोनो किडनी खराब हैं। लेकिन फिर भी महाराज जी के जीवंत और अद्भुत स्वरूप को देखा जा सकता है। दोनो किडनी खराब होने के बाद भी उनके चेहरे का तेज देखते ही बनता है। आज घर-घर प्रेमानंद जी महाराज को सुना जा रहा है और उनके बारे में चर्चा की जा रही है। लोग यह कहने पर मजबूर हैं कि आज के समय में अगर कोई असली संत है तो वह प्रेमानंद जी महाराज हैं।

प्रेमानंद महाराज (Premananda Maharaj) सीधी और स्पष्ट बात बोलते हैं। चाहें भले ही वह लोगों को कड़वी लगे। महाराज जी के प्रवचनों ने आज पूरे देश और दुनिया में एक नई लहर सी ला दी है। क्या युवा और क्या बड़े सब प्रेमानंद जी महाराज को सुनना चाह रहे हैं, उनके दर्शन करना चाह रहे हैं। प्रेमानंद जी महाराज के मुखमंडल से निकला एक-एक शब्द लोगों को आकर्षित कर रहा है और उनमें अच्छे बदलाव की भावना को जाग्रत कर रहा है।

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प्रेमानंद महाराज का पूरा नाम क्या?

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का पूरा नाम प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज है। उनका जन्म कानपुर के एक गांव में हुआ था। प्रेमानंद महाराज 13 साल की उम्र में ही रात 3 बजे घर से संन्यास के रास्ते में चलने के लिए भाग आए थे। उस समय वह कक्षा 9 में पढ़ते थे। इसके बाद वह कभी घर नहीं लौटें और अपना पूरा जीवन भगवान को समर्पित कर दिया। उन्होंने शुरुवात में संन्यास के लगभग 20 साल भगवान शिव में लीन होकर काशी में बिताए। इसके बाद वह वृंदावन आ गए और राधारानी के परम भक्त हो गए।

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